निमोनिया क्‍या है? – Nimoniya kya hai in Hindi

निमोनिया एक प्रकार का संक्रमण है, जो आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस या फंगी के कारण हो सकता है। निमोनिया से एक या दोनों फेफड़ों में सूजन व लालिमा हो जाती है और जिससे सांस लेने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। फेफड़ों में बुलबुले की आकृति जैसी छोटी-छोटी थैलियां होती हैं, जिन्हें एल्वियोली कहा जाता है। ऑक्सीजन को रक्त में मिलाना और कार्बनडाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालना एल्वियोली का काम होता है।

निमोनिया के दौरान इन थैलियों में सूजन व उनमें पस या अन्य द्रव भर जाता है, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। निमोनिया किसी को भी हो सकता है, हालांकि, यह प्रमुख रूप से छोटे बच्चों व वृद्ध लोगों में देखा जाता है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। कुछ लोगों को निमोनिया से गंभीर लक्षण नहीं होते जबकि अन्य को आपात स्थिति में अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। इस लेख में आप निमोनिया क्या है, इसके कारण, लक्षण व इलाज के बारे में जान सकते हैं।

निमोनिया के कितने प्रकार हैं?

कम्‍यूनिटी-एक्‍वायर्ड निमोनिया- इस प्रकार का निमोनिया व्‍यक्ति को तब होता है जब वह हाल ही में हेल्‍थ केयर सुविधा के लिए अस्‍पताल ना गया हो और इसे निम्न प्रकार से विभाजित किया गया जा सकता है।
बैक्टीरिया- निमोनिया होने का कारण स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोने (Streptococcus pneumoniae) होता है। यह आमतौर पर फ्लू के बाद होता है और फेफड़ों के एक हिस्से को प्रभावित कर सकता है जिससे लोबर निमोनिया हो सकता है।
एटिपिकल निमोनिया- एटिपिकल न्यूमोनिया एक अलग प्रकार का निमोनिया होता है। यह हर आयुवर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह माइकोप्लाज्मा या क्लैमाइडिया जीवों के कारण हो सकता है।
फंगल निमोनिया- यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में होता है। इस प्रकार के फंगल या कवक मिट्टी या पक्षियों के मल में पाया जाता है।
COVID-19 जैसे वायरस- ठंड और फ्लू पैदा करने वाले वायरस भी निमोनिया का कारण बन सकते हैं। यह आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जाता है। COVID-19 वायरस को गंभीर निमोनिया का कारण बनते देखा जा रहा है।
नोसोकोमियल निमोनिया- यह अस्‍पतालों के भीतर होता है। इसमें हॉस्प्टिल एक्‍वायर निमोनिया (HAP)और वेंटीलेटर एक्‍वायर निमोनिया (VAP) शामिल हैं
एस्पिरेशन निमोनिया- यह उल्टी, बलगम, कुछ रसायनों या किसी विदेशी वस्तुओं को इनहेल करने के कारण होता है। जिसका परिणाम फेफड़ों और श्‍वासनलिका में सूजन का कारण बनता है।

निमोनिया की कितनी स्‍टेज होती है?

एकत्रीकरण- यह स्‍टेज शरुआती 24 घंटों के भीतर होती है। बैक्टीरिया और तरल पदार्थ के कारण, फेफड़ों में भारीपन और कंजेशन होने लगता है। इस अवस्था में मरीज को खांसी और गहरी-लंबी सांसे लेने लगता है।

रेड हेपेटाईजेशन- यह चरण पहले चरण के लगभग तीन दिन बाद होता है। लाल, सख्‍त और वायुहीन दिखने के कारण फेफड़े लिवर की तरह दिखने लगते हैं। इस चरण में एल्वियोली (फेफड़ों में मौजूद हवा की थैली) एरिथ्रोसाइट्स, न्यूट्रोफिल, डिक्वामेटेड एपिथेलियल कोशिकाओं और फाइब्रिन से भर जाती है।

ग्रे हेपेटाइटिस- यह एक अविकारी चरण है, जिसमें रक्त वाहिकाओं की कोई भागीदारी नहीं होती है। जो रेड हेपेटिसाइजेशन के दो से तीन दिन बाद होता है। इस चरण में, लाल रक्त कोशिकाओं में गिरावट देखने को मिलता है, जो फेफड़ों को एक भयावह रूप देता है। फेफड़े पीले और शुष्क दिखाई देते हैं। फाइब्रिन और एक्सयूडेट (कोशिकाओं और प्रोटीन से युक्त तरल पदार्थ जो रक्त वाहिकाओं से आसपास के ऊतकों में बाहर निकलते हैं) इस चरण पर हावी होते हैं।

रिज़ॉल्यूशन- इस चरण के दौरान लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells) टूटते हैं, जिससे फेफड़ों को एक ग्रे रंग मिलेगा। हालांकि, प्रतिरक्षा कोशिकाएं बनी रहती हैं, और लक्षण बने रहेंगे। रिज़ॉल्यूशन स्‍टेज के दौरान, बुजुर्ग बेहतर महसूस करना शुरू कर सकते हैं क्योंकि प्रतिरक्षा कोशिकाएं उनके शरीर को संक्रमण से छुटकारा दिलाने लगती हैं।

निमोनिया के लक्षण

निमोनिया मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। फेफड़ों का मुख्‍य कार्य हमारे रक्त को ऑक्सीजन देना और अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को निकालना है। फेफड़ों के इष्टतम कामकाज के लिए, आपके वायुमार्ग (ब्रांकाई) को खुला और स्पष्ट होना चाहिए। बलगम के कारण अगर वायुमार्ग में रूकावट पैदा होगी तो इससे निमोनिया के लक्षन पैदा होंगे।

निमोनिया के लक्षणों में सांस लेने की समस्या, खांसी और तेज बुखार शामिल हैं। हालांकि, संकेत और लक्षण उम्र और निमोनिया के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यहां, हम आपको कुछ सामान्य निमोनिया के उदाहरणों के बारे में बता रहे हैं।

  • छाती में दर्द, खासकर जब आप सांस लेते हैं या खांसते हैं
  • कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी- बलगम पीले, हरे, यहां तक ​​कि
  • खून के रंग जैसे अलग-अलग हो सकते हैं
  • अत्यधिक थकान
  • भूख में कमी
  • बुखार
  • पसीना और ठंड लगना
  • जी मचलाना और उल्टी
  • दस्त
  • सांस लेने में दिक्कत

इनके अलावा, बच्चों और बुजुर्गों को निमोनिया के कुछ अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है। जबकि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे तेज सांसें या घरघराहट जैसी स्थितियों से गुजर सकते हैं, शिशुओं में उल्टी, ऊर्जा की कमी, या पीने या खाने में कठिनाई के अलावा कोई अन्य लक्षण नहीं हो सकते हैं। वही दूसरी ओर बुजुर्ग भ्रम का अनुभव कर सकते हैं, असामान्य रूप से शरीर का तापमान कम होना आदि शामिल है।

निमोनिया के कारण और रिस्क फैक्टर

कारण

वायरस, बैक्‍टीरिया और फंगस निमोनिया के मुख्य कारण होते हैं। आपको यह इंफेक्शन तब होता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है और आपके अंदर उसकी ड्रॉपलेट चली जाती हैं। दूषित फॉमिट्स भी आपके निमोनिया का कारण बन सकते हैं। अगर आप किसी अस्पताल जाते हैं और वेंटीलेटर से संबंधित किसी प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं या ऐसे लोगों के आसपास घूमते हैं तो भी आप संक्रमित हो सकते हैं।

जो बैक्‍टीरिया का मुख्य कारण होता है उसे स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया और माइकोप्लासमा न्यूमोनी कहा जाता है। कुछ रेस्पिरेटरी वायरस जो इस निमोनिया के जिम्मेदार होते हैं उनके नाम हैं- इन्फ्लूएंजा, राइनोवायरस। मिट्टी और पक्षियों के मल से निकलने वाले कवक भी निमोनिया का कारण हो सकती है। इनके उदाहरण हैं न्यूमोसाइटिस जिरोवेसी, क्रिप्टोकोकस स्पेसीज आदि।

रिस्क फैक्टर्स

  • 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग
  • धूम्रपान करने वाले लोग
  • कुपोषित व्यक्ति
  • जिन लोगों को पहले से ही फेफड़ों से संबंधित समस्या है जैसे ब्रोंकाइटिसिस और अस्थमा आदि
  • हृदय रोग, डायबिटीज और किडनी की क्रोनिक डिजीज वाले व्यक्तिजिन लोगों का इम्यून सिस्टम स्टेरॉयड के प्रयोग से, ऑर्गन ट्रांसप्लांट या एचआईवी के कारण कमजोर हो गया हो
  • जिन लोगों को हाल ही में अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट वायरल इंफेक्शन हुआ हो जैसे- इन्फ्लूएंजा
  • जिन्‍हें स्‍ट्रोक हो या इसकी शिकायत हो

निमोनिया से बचाव

निमोनिया से बचने का सबसे अधिक और बेस्ट तरीका है टीकाकरण। न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन आपको बैक्टेरियल निमोनिया से बचा सकती हैं। अगर आपको निमोनिया के साथ साथ फ्लू भी है तो आप एक नियमित फ्लू शॉट भी ले सकते हैं। वैक्सीन के अलावा आप निम्‍न बचाव के तरीके भी अपना सकते हैं-

  • साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से कई बार हाथों को धोते रहें
  • निमोनिया संक्रमित लोगों की ड्रॉपलेट से फैलता है इसलिए आप ऐसे लोगों से फेस टू फेस संपर्क न करें
  • खांसते और छींकते समय मुंह को ढंक लेना चाहिए। आप अपनी कोहनी पर छींक कर खुद के हाथों को संक्रमित करने से बच सकते हैं

निमोनिया की पहचान कैसे करें

अगर आपको निमोनिया की पहचान करनी है तो फैमिली हिस्ट्री और फिजिकल एग्जामिनेशन को अपनी प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर आपको निमोनिया होगा तो आपके फेफड़े क्रैकलिंग और बबलिंग जैसी आवाज कर सकते हैं। अगर यह संदेह होता है कि आपको न्यूमोनिया है तो आपको अन्य टेस्ट करवाने को बोला जा सकता है।

ब्लड टेस्ट: यह इंफेक्शन को जांचने और उसके कारण के बारे में पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
छाती का एक्स रे: इससे डॉक्टर यह जान पाएंगे कि कहीं आपके फेफड़ों में इंफ्लेमेशन (सूजन) तो नहीं हुआ और अगर हुआ है तो उसकी लोकेशन कहां है।
स्प्यूटम कल्चर: इस टेस्ट में आपके म्यूकस को चेक करने के लिए भेजा जाता है ताकि इंफेक्शन के कारण का पता लगाया जा सके।
पल्स एक्जीमेटरी: इस टेस्ट से आपके डॉक्टर को पता लगेगा कि आपके फेफड़े आपके खून में कितने प्रभाव से ऑक्सीजन भेज रहे है। आपकी उंगली पर एक सेंसर रखा जाता है जिससे आपका ऑक्सीजन लेवल पता चलता है।
सीटी स्कैन: इससे आपके डॉक्टर को आपके फेफड़ों की और अधिक साफ तस्वीर मिलती है।

(और पढें- गले का कैंसर, कारण लक्षण और बचाव )
फ्लूइड सैंपल: यह टेस्ट भी इंफेक्शन के कारण को जानने के लिए ही किया जाता है।

निमोनिया का उपचार

आपका उपचार निमोनिया के कारणों पर निर्भर करता है। बैक्‍टीरियल निमोनिया के लिए डॉक्टर आपको एंटी बायोटिक दे सकते हैं। वायरल टाइप के लिए वह आपको एंटी वायरल दवाई दे सकते हैं। फंगल के लिए एंटी फंगल दवाइयों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही आपको बहुत अधिक रेस्ट और हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है। हॉस्पिटल उपचारों में इंट्रावेनस एंटी बायोटिक्स, रेस्पिरेटरी थेरेपी आदि शामिल होती है। आपको ऑक्सीजन लेवल में वृद्धि होने के लिए ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

लाइफस्टाइल मैनेजमेंट

  • सबसे पहले आपको धूम्रपान बंद करना होगा, क्योंकि इससे आपके फेफड़े प्रभावित हो सकते है।
  • विटामिन सी से युक्त चीजें खाएं जैसे ब्रोकली, पपीता, स्ट्राबेरी आदि खा सकते हैं।
  • आपकी डाइट में जिंक जैसे मिनरल होने चाहिए ताकि आपकी इम्यूनिटी मजबूत बन सके।

रोग का निदान और कॉम्प्लिकेशन

रोग का निदान

निमोनिया का निदान मुख्‍यत: 3 फैक्‍टर्स पर निर्भर करता है- उम्र, एक के साथ अन्‍य रोगों की मौजूदगी और रोग की गंभीरता आदि। निमोनिया से पीड़ित अधिकांश लोग एंटीबायोटिक उपचार के तीन से पांच दिनों के बाद सुधार करते हैं, लेकिन एक हल्की खांसी और थकान एक महीने तक रह सकती है। जिन रोगियों को अस्पताल में उपचार की आवश्यकता होती है, उन्हें सुधार दिखने में अधिक समय लग सकता है। निमोनिया भी घातक हो सकता है।

कॉम्प्लिकेशन

निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण और स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं दे सकता है, जो निम्‍नलिखित हैं:

सेप्टिक शॉक और ऑर्गन फेल्‍योर: यह इंफेक्शन आपको कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी दे सकती है। जैसे अगर न्यूमोनिया वाले बैक्टीरिया आपके खून में चले जाएं तो इससे आपका ऑर्गन तक फेल हो सकता है।
द्रव में संक्रमण: कई केस में आपके फ्लूइड (द्रव) में भी निमोनिया के कारण इंफेक्शन हो सकता है।
फेफड़े का फोड़ा: इसके दौरान आपके फेफड़ों के चारों ओर मवाद बन सकता है जो एक फोड़ा भी हो सकता है।

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