चमकी बुखार क्‍या है, कारण लक्षण और उपाय – Chamki Bukhar (Acute Encephalitis Syndrome) in Hindi

चमकी बुखार एक प्रकार का संक्रामक बुखार (Infectious fever) है जिसे एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) के नाम से जाना जाता है। चमकी बुखार कई प्रकार के बैक्‍टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी और रासायनिक विषाक्‍तताओं का परिणाम है। हालांकि एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम या चमकी बुखार क्‍या है यह समझने में डॉक्‍टरों को काफी समय लग गया है। लेकिन अब चमकी बुखार से कैसे बचा जाए यह महत्‍वपूर्ण है। आज इस आर्टिकल आप चमकी बुखार से संबंधित जानकारीयां प्राप्त करेगें। जिससे आप चमकी बुखार के लक्षण क्‍या हैं और चमकी बुखार का इलाज संबंधी जानकारी प्राप्‍त कर सकते हैं। आइए जाने चमकी बुखार आखिर क्‍या और चमकी बुखार के उपाय कैसे किये जा सकते हैं।

1. चमकी बुखार क्या है
2. चमकी बुखार कैसे होता है
3. चमकी बुखार के कारण
4. चमकी बुखार के लक्षण
5. चमकी बुखार किसे होता है
6. चमकी बुखार की जटिलताएं
7. चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) की जांच
8. चमकी बुखार से कैसे बचें
9. बच्चों को चमकी बुखार से बचने के उपाय
10 चमकी बुखार का इलाज
11. चमकी बुखार बिहार में स्थिति

चमकी बुखार क्या है

चमकी बुखार एक संक्रामक बुखार है जो विशेष रूप से छोटे बच्‍चों को प्रभावित करती है। चमकी बुखार चिकित्‍सकीय नाम एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) से जाना जाता है। चमकी बुखार केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को प्रभावित करता है, और मस्तिष्क में सूजन का कारण भी बनता है। चमकी बुखार ज्यादातर बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले युवाओं को भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में चमकी बुखार के उपाय के लिए आपको डॉक्‍टरी सलाह की आवश्‍यकता है।

चमकी बुखार कैसे होता है

सामान्‍य रूप से चमकी बुखार होने का प्रमुख कारण संक्रमण होता है। विशेषज्ञों का यह मानना है, कि चमकी बुखार अन्य स्रोत जैसे, फंगस, पैरासाइट (parasites), रसायन, विषाक्त पदार्थ और गैर-संक्रामक एजेंट (non infectious agents) के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। चमकी बुखार वायरस या बैक्टीरिया (Virus or bacteria) के कारण होने वाली एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। चमकी बुखार कम उम्र के बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक होती है। चमकी बुखार के अधिकांश मामलों में बच्‍चों की जान जाने की संभावना होती है। चमकी बुखार एक प्रकार की दिमागी बुखार (brain fever) है जो 10 वर्ष की कम आयु के बच्‍चों को होती है। इस बीमारी का प्रभाव मुख्‍य रूप से मानसून के दौरान होता है जो शुरुआती बारिश से अक्‍टूबर के बीच अधिक आक्रामक रूप से फैलती है।

कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि दूषित या बहुत दिनों से रखी हुई लीची (lychee) का सेवन करने से चमकी बुखार के लक्षणों में वृद्धि होती है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि लीची के फल में मिथइलिन साइक्‍लोप्रोपाइल गलाइसिन (Methylene cyclopropyl glycine) नामक रसायन पाया जाता है। यह चमकी बुखार का कारण बनता है। चमकी बुखार के उपाय में कुपोषण को दूर किया जाना चाहिए।

चमकी बुखार के कारण

भारत में चमकी बुखार (chamki bukhar) एक गंभीर बीमारी का रूप लेती जा रही है। चमकी बुखार संक्रमण के कारण होता है जो वायरस, बैक्‍टीरिया और अन्‍य प्रकार के हानिकारक जीवाणुओं से फैलता है। भारत में चमक बुखार का प्रमुख कारण जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) वायरस के कारण है। इसके अलावा चमकी बुखार के अन्‍य कारणों में स्‍क्रब टाइफस (scrub typhus), डेंगू (dengue), खसरा (measles) और निफा या जीका (Nipah or Zika) वायरस भी शामिल हैं। हालांकि चिकित्‍सकों के अनुसार चमकी बुखार के बहुत से कारण अभी भी अज्ञात हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) – चमकी बुखार होने का प्रमुख कारण प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना है। क्‍योंकि ऐसी स्थिति में सूजन या मस्तिष्‍क पर हमला करने वाले संक्रमण चमकी बुखार का कारण बन सकते हैं।

वायरस (Virus) – चमकी बुखार आने का कारण कुछ विशेष प्रकार के वायरस जैसे हर्पीज वायरस, एंटरोवायरस, वेस्‍ट नाइल, जापानी इंसेफेलाइटिस आदि। ये सभी वायरस चमकी बुखार के लक्षण को बढ़ाने का प्रमुख कारण होते हैं।

बैक्‍टीरिया (Bacteria) – चमकी बुखार या एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) होने का एक और कारण बैक्‍टीरियल प्रभाव होता है। एन्‍सेफालाइटिस बैक्‍टीरिया, कवक या परजीवी, रसायन, विषाक्‍त पदार्थों और गैर-संक्रामक (non infectious) गुणों के कारण भी चमकी बुखार के लक्षण देखे जा सकते हैं।

चमकी बुखार के लक्षण

chamki bukhar kise hota hai in Hindi

वर्तमान समय में चमकी बुखार को देखते हुए अधिकांश लोग सामान्य बुखार (General fever) में भी घबरा जाते हैं। हालांकि उन्‍हें चमकी बुखार के लक्षण पहचानने चाहिए। हालांकि चमकी बुखार के लक्षणों को समझने से पहले रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity power) को बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए। क्‍योंकि चमकी बुखार कमजोर प्रतिरक्षा वाले बच्‍चों को अधिक प्रभावित करता है। चमकी बुखार के दौरान या बाद में रोगी को इन्फ्लूजा (Influenza), हर्पीज सिम्‍प्‍लेक्‍स (Herpes simplex), खसरा (Measles), रूबेला (Rubella), रेबीज (Rabies), चिकनपॉक्‍स और अर्बोवायरस (Chicken pox and arbovirus) आदि संक्रमण भी हो सकते हैं। चमकी बुखार मुख्‍य रूप से रोगी के केंद्रिय तंत्रिका तंत्र या न्‍यूरोलोजिकल कार्यों को प्रभावित करता है। चमकी बुखार के लक्षण मुख्‍य रूप से 10 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों में देखे जाते हैं।

चमकी बुखार के अन्‍य लक्षण (Acute Encephalitis Syndrome symptoms in Hindi) इस प्रकार हैं :

  • चमकी बुखार के लक्षण में बच्‍चे या रोगी को तेज बुखार (High Fever) बना रहता है।
  • चमकी बुखार के दौरान रोगी को मनोभ्रंश या भ्रम (mental disorientation) जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
  • एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम रोगी स्ट्रोक या एक मिरगी (epileptic fit) के लक्षण भी हो सकते हैं।
  • जी मिचलाना (Nausea) चमकी बुखार के लक्षणों में शामिल है।
  • उल्टी होना (Vomiting) चमकी बुखार के लक्षण में
  • सरदर्द (Headache) होना
  • तेज लाइट या प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity to light) का सामना करना
  • गर्दन और पीठ में अकड़ना (Stiff neck and back) होना चमकी बुखार के लक्षण हैं।
  • याद रखने की क्षमता में कमी(Memory loss) होना।
  • नींद पूरी न होने की भावना होना या उनींदापन (Drowsiness)

चमकी बुखार किसे होता है

चमकी बुखार मुख्‍य रूप से 10 वर्ष और इससे कम उम्र के बच्चों को होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चमकी बुखार केवल बच्‍चों को ही होता है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले वयस्‍क भी इस बुखार से प्रभावित हो सकते हैं। यह बुखार मौसमी और भौगोलिक भिन्‍नता के आधार पर भी निर्भर करता है। अध्‍ययनों के अनुसार भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु के साथ गंगा के मैदानी हिस्‍सों में भी चमकी बुखार के रोगी हो सकते हैं। आइए जाने चमकी बुखार किसे हो सकता है।

  • चमकी बुखार की 1-5 वर्ष की उम्र में सबसे अधिक संभावना होती है। इसके साथ ही चमकी बुखार की प्रभाविता क्रमश: 5-10 और 10 से 15 वर्ष के बच्‍चों में अधिक होती है।
  • शिशुओं में चमकी बुखार – 0 से 1 वर्ष की आयु के शिशुओं को चमकी बुखार के लक्षण असम को छोड़कर अन्‍य सभी राज्‍यों में जुलाई से एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) के लक्षण दिखाई देने लगते हैं जो सितंबर-अक्‍टूबर में अपने शिखर पर होते हैं।
  • चमकी बुखार विशेष रूप से पूर्वी उत्‍तर प्रदेश एंटरो-वायरस (Entero-virus) के कारण पूरे वर्ष मौजूद रहता है।
  • भारत में उत्‍तर और पूर्वी भार में चमकी बुखार का प्रकोप बच्‍चों द्वारा खाली पेट (empty stomach) लीची खाने से जोड़ा गया है। कच्‍चे लीची के फल में टॉक्सिन्‍स हाइपोग्‍लाइसीन A (hypoglycin A) और मिथइलिन साइक्‍लोप्रोपाइल गलाइसिन (Methylene cyclopropyl glycine) होते हैं। जिसके कारण अधिक मात्रा में खाली पेट लीची का सेवन करना उल्टी का कारण बनता है। हाइपोग्‍लाइसीन A एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला अमीनो एसिड है जो बिना छिले हुए लीची में पाया जाता है। इसकी अधिक मात्रा उल्‍टी या जमैका उल्‍टी की बीमारी (Jamaican vomiting sickness)का कारण बनता है।

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चमकी बुखार की जटिलताएं

एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम या chamki bukhar एक गंभीर बीमारी है जो विशेष रूप बच्‍चों के लिए खतरनाक है। यदि समय सही इलाज नहीं किया जाता है तो यह मृत्‍यू का कारण बन सकता है। चमकी बुखार के वायरस सीधे मस्तिष्‍क कोशिकाओं (central nervous system) को प्रभावित करते हैं। जिसके कारण रोगी को दौरे आदि पड़ते हैं जो अनियंत्रित होने पर मृत्‍यू (Death) का कारण बनते हैं। हालांकि जिन लोगों चमकी बुखार के प्रभाव से बचा लिया जाता है उन्‍हें भी अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को बाद में भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को भविष्‍य में न्‍यूरोलॉजिकल बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है।

अध्‍ययनो से यह भी पता चलता है कि चमकी बुखार से प्रभावित बच्‍चों में लगभग 25 प्रतिशत बच्‍चों की मृत्‍यू हो जाती है। साथ ही बचे हुए 75 प्रतिशत बच्‍चों में से 30 से 40 प्रतिशत बच्‍चों को अन्‍य शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है।

चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) की जांच

चमकी बुखार से ग्रसित बच्‍चों की समय पर जांच की जानी चाहिए। साथ ही उनके परिजनों को भी रोगी के लक्षणों पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए। यदि रोगी में चेतना की कमी, अधिक आलसी या सुस्‍ती या उसके व्‍यवहार में परिवर्तन देखने मिलें तो तुरंत ही चमकी बुखार की जांच करानी चाहिए। अन्‍यथा चमकी बुखार के लक्षण रोगी के लिए घातक हो सकते हैं। चमकी बुखार की जांच विभिन्‍न प्रकार के परीक्षणों के माध्‍यम से किया जाता है।

एमआरआई (MRI) द्वारा – इस परिक्षण में ब्रेन स्‍कैन किया जाता है जो मस्तिष्‍क की सूजन का निर्धारण करती है। साथ ही अन्‍य संभावित समस्‍याओं का पता लगाती है।

ईईजी (EEG) – यह परिक्षण मस्तिष्‍क की गतिविध की निगरानी करने और एन्‍सेफलाइटिस (encephalitis) के असामान्‍य संकेतों की जानकारी देता है।

स्‍पाइनल टैप (spinal tap) – इस परीक्षण में रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ का उपयोग करके एक परीक्षण किया जाता है। जिससे यह पता चलता है कि चमकी बुखार के वायरस रीढ़ की हड्डी को किस स्‍तर तक प्रभावित कर चुके हैं।

रक्‍त परीक्षण (Blood test) – यह सामान्‍य परीक्षण है जो अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में भी प्रमुख रूप से किया जाता है। इस परीक्षण से यह पता लगाया जाता है कि शरीर में वायरस की मौजूगी कितनी है।

मूत्र परीक्षण (Urine analysis) – मूत्र परीक्षण भी शरीर में चमकी बुखार के वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है।

चमकी बुखार से कैसे बचें

चमकी बुखार से बचने का सबसे अच्‍छा उपाय यह है कि अपने आस-पास साफ-सफाई रखें। हम जानते हैं कि चमकी बुखार वायरस या बैक्‍टीरियल प्रभाव के कारण होता है। जिसका मुख्‍य कारण मच्‍छर भी हो सकते हैं। यदि आप चमकी बुखार के संपर्क में आने से बचना चाहते हैं तो मच्‍छरों की रोकथाम पर विशेष ध्‍यान दें। इसके अलावा पौष्टिक भोजन करें जो विशेष रूप से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके अलावा नियमित शारीरिक सफाई, उचित और संतुलित आहार के साथ स्वच्‍छ पेय जल का उपयोग चमकी बुखार से बचने में सहायक होता है।

चमकी बुखार से बचने के उपाय निम्न हैं

  • चकमी बुखार से बचने के लिए सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें। साथ ही शौचालय की सुविधा (sanitation facilities) और उचित स्वच्छता बनाये रखना चाहिए।
  • मच्छरों से बचने के लिए घर के आसपास गंदगी न रहने दें। इसके अलावा नियमित रूप से कीटनाशकों का छिडकाव करें और वातानुकूलित आवास का चयन करें
  • चमकी बुखार प्रकृति में एक्‍सोफिलिक और एंडोफैजिक (exophillic and endophagic) हैं। इस कारण चमकी बुखार का जोखिम तब अधिक होता है, जब मानव आवास और पशु आवास एक दूसरे के बहुत पास-पास स्थित होते हैं। इस लिए चमकी बुखार से बचने के लिए जानवरों के रहने के स्‍थान को घर से दूर रखें।
  • चमकी बुखार की रोकथाम के लिए व्यक्तियों को मच्छरों के काटने बचने की सलाह दी जाती है, इस हेतु व्यक्तियों को सोते समय मच्छरदानी लगना चाहिए। इसके अलावा मच्छरों को मारने के लिए घरेलू कीटनाशक उत्पादों जैसे- मच्छर कॉइल (mosquito coils), पाइरेथ्रम स्पेस स्प्रे (pyrethrum spray) और एरोसोल का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
  • चमकी बुखार के संक्रमण को फैलाने वाले मच्‍छरों से बचने के लिए हमेशा लंबी अस्‍तीन के शर्ट और फुल पैंट का उपयोग करना चाहिए। साथ ही रात में सोते समय मोजे भी पहनने चाहिए। मच्छरों के काटने के संभावना को कम करने के लिए शरीर के अधिकांश भाग को कपड़ों से ढकना चाहिए।
  • मच्छरों को दूर रखने के लिए व्यक्ति को अपने हाँथ और पैरों में, पौधों से प्राप्त आवश्यक तेल जैसे- सिट्रोनेला तेल (citronella), लेमन ग्रास तेल (lemongrass oil) और नीम तेल आदि को लगाना चाहिए।

टीकाकरण (Vaccination) – बच्चों को चमकी बुखार से बचने के लिए जापानी इंसेफ्लाइटिस (Japanese encephalitis) टीकाकरण की सिफारिश की गई है। जहां भारत सरकार के निर्देशानुसार, चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) वैक्सीन की 2 खुराक को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने के लिए मंजूरी दी गई है। अतः चमकी बुखार की रोकथाम के लिए बच्चों को 9 महीने की उम्र में खसरा के साथ और 16 – 24 महीने की उम्र में डीपीटी बूस्टर के साथ जापानी इंसेफ्लाइटिस (Japanese encephalitis) के टीके को शामिल किया जाता है।

बच्चों को चमकी बुखार से बचने के उपाय

चूँकि प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity) कमजोर होने के कारण चमकी बुखार छोटे बच्चों को अधिक प्रभावित करता है, तथा उनकी

  • चमकी बुखार में शुगर (sugar) की कमी देखने को मिलती है, अतः बच्चों को मीठी सामग्री खिलते रहना चाहिए
  • चूँकि कुपोषण (Malnutrition) की समस्या बच्चों में चमकी बुखार के खतरे को बढ़ा देती है, अतः बच्चों के पोषण सम्बन्धी खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए
  • बच्चों को एक दूसरे के जूठे और सड़े हुए फल खाने के लिए नहीं देना चाहिए।
  • बच्चों को सूअर आवास (Animal dwelling) वाले स्थानों से दूर रखना चाहिए
  • भोजन करने से पहले और शौच जाने के बाद बच्चों के हाथ साबुन या हेंड वॉश (Hand wash) से धुलाना चाहिए
  • हमेशा ही पीने के लिए स्‍वच्‍छ पानी (Clean water) का उपयोग करना चाहिए।
  • बच्चों के नाखून (nails) को नियमित रूप से काटें।
  • घर के फर्श और वस्तुओं को कीटाणु रहित (Insect-free) रखना चाहिए
  • रात के खाने के बाद बच्चों को थोडा मीठा (sweet) अवश्य खिलाएं
  • बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में तरल पदार्थ (Liquid food) पिलाते रहना चाहिए, ताकि बच्चे पानी की कमी का शिकार न हो पायें।

चमकी बुखार का इलाज

चमकी बुखार का इलाज कराने से बेहतर इस से बचने के उपाय हैं। फिर भी रोगी को चमकी बुखार के लक्षणों से बचाने के लिए कुछ उपचार या इलाज भी होते हैं। चमकी बुखार के उपाय के लिए निम्‍न कदम उठाये जा सकते हैं।

  • चमकी बुखार से ग्रसित बच्‍चों को गंभीर स्थिति या हादसे से बचाने के लिए गहन‍ चिकित्‍सा (ICU) इकाई या आईसीयू में भर्ती करना चाहिए।
  • डॉक्‍टर मस्तिष्‍क की सूजन (brain inflammation) को रोकने के लिए रोगी के रक्‍तचाप, हृदय गति, श्वांस और शरीर के तरल पदार्थ को जांचेगा।
  • डॉक्‍टर कुछ विशेष प्रकार की एंटीवायरल ड्रग्‍स (Antiviral Drugs) देर इंसेफेलाइटिस के कुछ रूपों का इलाज कर सकता है।
  • चमकी बुखार के उपचार के दौरान मस्तिष्‍क की सूजन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्‍टेरॉइड (Corticosteroids) भी दे सकता है।
  • जिन बच्‍चों को दौरे पड रहे हैं उन्‍हें एंटीकॉनवल्‍सेंट (Anticonvulsants) दिया जा सकता है।
  • चमकी बुखार से प्रभावित रोगी के शरीर के तापमान और सिर दर्द (Body temperature and headache) को कम करने के लिए डॉक्‍टर कुछ विशेष प्रकार की दवाएं दे सकता है।

चमकी बुखार का यदि समय पर सही इलाज किया जाये तो यह कुछ ही दिनों में ठीक हो सकता है। लेकिन कुछ मामलों में चमकी बुखार को ठीक होने में कुछ सप्‍ताह का समय लग सकता है।

चमकी बुखार बिहार में स्थिति

राष्‍ट्रीय वेक्‍टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Vector Borne Diseases Control Programme) के अनुसार वष्र 2018 में चमकी बुखार के लक्षणों से 17 राज्‍यों में 600 से अधिक बच्‍चों की मृत्‍यू हो चुकी है। लेकिन हाल ही में बिहार राज्‍य चमकी बुखार का प्रकोप झेल रहा है। बिहार में इस वर्ष लगभग 160 से ऊपर बच्‍चों की मृत्‍यू चमकी बुखार के कारण हो चुकी है और यह संख्‍या बहुत तेजी से बढ़ रही है।

इस बीमारी का इलाज कराने से बेहतर है कि लोग इससे बचने के तरीके अपनाएं।

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